मनु भाकर बायोग्राफी : इंडियन शूटर मनु भाकर ने हिस्ट्री क्रिएट कर दी है। मनु पेरिस ओलंपिक्स में मेडल जीतने वाली पहली इंडियन फीमेल शूटर बन चुकी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज इंडिया का इतना नाम रोशन करने वाली मनु भाकर ने फैसला ले लिया था कि वह यह खेल छोड़ देंगी? जानकर काफी हैरानी होगी।
किस्सा वो बात जब आपको पता चलेगा कि एक ऐसी सिचुएशन उनकी लाइफ में आई थी जब उन्होंने कसम खा ली थी कि वह शूटिंग रेंज में नहीं जाएंगी। तो फिर ऐसा क्या हुआ जो एक बार फिर से वो रेंज में उतरी और इंडिया का नाम रोशन कर दिया?
मनु भाकर बायोग्राफी
मनु भाकर 18 फरवरी 2002 को हरियाणा के झज्जर में पैदा हुई मनु भाकर इंडिया का इतना नाम रोशन करेंगी या तो यह उन्होंने खुद भी नहीं सोचा था और उनके पेरेंट्स ने भी नहीं सोचा होगा। लेकिन हां, सपोर्ट और हिम्मत और मनु भाकर का अपना खुद का भरोसा जरूर उनके साथ था, जिस वजह से आज यह मुमकिन हो पाया।
मनु भाकर फॅमिली
बात करें उनके पेरेंट्स की तो वह अपने पेरेंट्स की इकलौती बेटी हैं। साथ में उनका एक भाई है। उनके पिता का नाम है राम किशन भाकर और मम्मी का नाम है सुमेदा भाकर। मनु भाकर पढ़ाई में हमेशा से अव्वल थी, यानी कि एथलेटिक करियर से पहले एकेडमिक्स में भी उनका काफी अच्छा इंटरेस्ट था। ऐसा नहीं है कि उन्होंने सिर्फ खेल में ही अपना हाथ आजमाया और वहीं पर इंटरेस्ट दिखाकर जीत हासिल की। बल्कि वह अपने एकेडमिक करियर में भी काफी ज्यादा होनहार हैं।
सिर्फ 14 साल की उम्र में मनु भाकर ने इस बात का फैसला कर लिया था कि वह शूटिंग में अपना हाथ आजमाएंगी और यह उनके पिता का वो भरोसा ही था जब उन्होंने अपने पिता से कहा कि मुझे पिस्तौल चाहिए, मैं शूटिंग में अपना हाथ आजमाना चाहती हूं, मुझे प्रैक्टिस करनी है।
तो अगले ही दिन उनके पिता ने उन्हें वो पिस्तौल लाकर दे दी। मनु भाकर उस जगह से आती हैं जहां से काफी सारे बॉक्सर्स और रेसलर्स निकले हैं हरियाणा से लेकिन उन्होंने शूटिंग में अपना करियर बनाने का फैसला लिया। बैडमिंटन हो या टेनिस या फिर मार्शल आर्ट्स, हर खेल में काफी अच्छे से अपना प्रदर्शन करने के बाद शूटिंग में उन्होंने काफी ज्यादा नाम कमाया।
मनु भाकर एजुकेशन
सबसे पहले बात करें उनके एकेडमिक करियर की तो उन्होंने 2021 में लेडी श्रीराम कॉलेज दिल्ली यूनिवर्सिटी से अपनी पॉलिटिकल साइंस में डिग्री हासिल की। इसी के साथ वह इस वक्त भी पंजाब यूनिवर्सिटी से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई कर रही हैं।
मनु भाकर हॉबीज
अब पढ़ाई के अलावा हॉबीज के ऊपर बात करें तो उन्हें भी आम लड़कियों की तरह म्यूजिक सुनना, किताबें पढ़ना, पेंटिंग, स्केचिंग, डांसिंग और पजल सॉल्विंग काफी पसंद है। उनकी एक फेवरेट हॉबी है हॉर्स राइडिंग, जिसके अक्सर वीडियोस और फोटोज इंटरनेट पर वो शेयर करती रहती हैं। इसके साथ ही उन्हें कई सारी फिजिकल एक्टिविटीज करना भी काफी पसंद है।
मनु भाकर करियर
बात करें उनके एथलेटिक करियर की तो उन्होंने जहां इतने सारे गेम्स में अपना हाथ आजमाया, तो उसके बाद उन्होंने 2016 के रियो ओलंपिक खत्म होने के ठीक बाद इस बात को ठान लिया कि वह भी ओलंपिक्स में जाना चाहती हैं और वह भी किसी ऐसे गेम के लिए जिसके अंदर पहले ऐसा ना हुआ हो। इस वजह से उन्होंने शूटिंग चुना।
14 साल की उम्र से ही मनु भाकर शूटिंग की अच्छे से प्रैक्टिस करती नजर आती हैं। 2024 पेरिस ओलंपिक्स में जहां आज उन्होंने झंडे गाड़ दिए हैं, तो उनकी यह मेहनत रातों-रात की नहीं है, बल्कि सालों की है।
दरअसल सबसे पहले मनु भाकर की तरफ ध्यान सभी का तब गया जब 2017 की राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में मनु भाकर ने ओलंपियन और पूर्व वर्ल्ड नंबर वन हीना सिंधु को चौका दिया। मनु भाकर ने 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में सिंधु के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 242.3 का रिकॉर्ड स्कोर बनाया और एक साल बाद मनु भाकर सिर्फ 16 साल की उम्र में कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली सोशल मीडिया सेंसेशन बन गई। जिसके बाद इंटरनेट पर उनका काफी नाम हुआ। यह एक तरीके से उनका एक टर्निंग पॉइंट था जब लोग उनके बारे में जानने लगे और उनके बारे में बात करने लगे। लेकिन मनु भाकर का गोल तो ओलंपिक्स में जाना था।
मनु भाकर अवार्ड
मनु भाकर ने ठान लिया था कि भाई अब इतने सारे मेडल्स कलेक्ट करने के बाद उनका एक गोल है ओलंपिक मेडल। मनु भाकर को तमाम अवार्ड्स मिले हैं। 2020 में मिनिस्ट्री ऑफ यूथ अफेयर्स एंड स्पोर्ट्स की तरफ से उन्हें अर्जुन अवार्ड मिला। इसके बाद उन्हें बेस्ट यंग एथलीट अवार्ड मिला 2019 में।
इसके बाद उन्होंने एशियन गेम्स हो या फिर कॉमनवेल्थ गेम्स हर तरफ अपने झंडे गाड़े और कई मेडल्स हासिल किए। और फिर आया साल 2020 का टोक्यो ओलंपिक्स जहां पर पहली बार मनु भाकर भी पहुंची।
मनु भाकर यहां काफी उम्मीदों के साथ गई थी। यह उनका पहला ओलंपिक गेम था। हालांकि यहां उनकी उम्मीदें टूट गई। जी हां, टोक्यो ओलंपिक्स में जहां मनु भाकर जीत के इतने करीब आकर हार गई, तो उनका डिटरमिनेशन कहीं ना कहीं हल्का पड़ गया। दरअसल यहां पर उनकी गलती की वजह से वह नहीं हारी थी, बल्कि उनके परफॉर्मेंस के दौरान उनके पिस्टल में आई खराबी की वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा और यह बात उनको काफी ज्यादा परेशान कर गई थी।
जब हार का सामना करती हुई शूटिंग रेंज से बाहर निकली तो उनकी आंखों में आंसू थे और वह अपना यह मन बना चुकी थी कि अब उन्हें गेम नहीं खेलना। रिपोर्ट्स की मानें तो टोक्यो ओलंपिक्स में जब उनका यह दिल टूटा, तो मनु भाकर ने लगभग 25 दिनों तक अपनी पिस्तौल की तरफ नहीं देखा था, बल्कि वह इस सदमे से उभरने के लिए केरल के चिराई में अपनी फैमिली के साथ वेकेशंस बनाने चली गई थी।
लेकिन जब उन्होंने ऑलमोस्ट एक महीने तक शूटिंग प्रैक्टिस नहीं की, तो शूटिंग के लिए उनको एहसास हुआ कि उनका प्यार उसके बिना नहीं रह सकता है और उन्होंने रिसेंटली जीत के बाद जिओ सिनेमा के साथ दिए गए एक इंटरव्यू में भी इस बात को साफ किया कि वह भगवत गीता में काफी विश्वास रखती हैं और जब टोक्यो ओलंपिक्स में वह हार गई थीं, तो भगवत गीता ने उन्हें काफी सहारा दिया।
जहां श्री कृष्ण का कहना यह रहता है कि आप कर्म किए जाइए, फल की चिंता मत कीजिए। यहां पर भी उन्होंने अपने इंटरव्यू में इस बात को कहा कि मुझे यह बताया गया और समझाया गया कि मुझे अपने कर्म पर देना है क्योंकि रिजल्ट पर हमारा कंट्रोल नहीं है। यही एक श्लोक था जिसने मुझे काफी हिम्मत दी और इस वजह से मैं आगे बढ़ पाई।
फिर आया 2024 का पेरिस ओलंपिक्स जहां पर मनु भाकर ने इंडिया को मेडल जिताया। आपको बता दें कि भारत का मौजूदा पेरिस ओलंपिक में यह पहला मेडल है। साथ ही ओलंपिक्स के इतिहास में भारत का शूटिंग में यह पांचवा मेडल है और मनु भाकर पहली ऐसी इंडियन वुमन शूटर है जो ओलंपिक्स में यह मेडल लाने में कामयाब रही।
आपको बता दें कि मनु ने फाइनल्स में 21.7 अंक जुटाए, जिसके बाद उन्होंने अपने नाम किया ब्रॉन्ज मेडल। इस पर इस वक्त पूरा हिंदुस्तान तो उनको बधाई दे ही रहा है, लेकिन साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी का पर्सनल फोन कॉल भी उन्हें आया, जहां उन्होंने उनसे बात की और बताया कि वह कितने खुश हैं।